Mere kuch questions hai Rcm Business k bare main…main yey janna chahta hu ki
- RCM Business kyu band hua hai?
- Chabra Ji abhi kahan hai?
- RCM Ki Business website kyu nahi khul rahi hai?
- RCM business kaise check kare?
- RCM main new joining kaise kare?
Please muje RCM business ki news k bare main jaankari de
दोस्त, हज़ारों RCM पीयूसी बंद हो गयी थी क्यो? RCM पीयूसी वाले बर्बाद हो गये थे, सिर्फ़ वही पीयूसी चल रही थी जिसका धारक अपनी डाउन नेटवर्क बिजनस से हुई कमाई को या अपने पूर्वजों की खून-पसीने से कमाई हुई ज़माँ पूंजी भी पीयूसी में उडेल रहा था क्योंकि इतने कम मार्जिन सिर्फ़ १% से ६% में सभी खर्च निकालने के बाद एक पैसा भी शुद्ध लाभ नहीं हो रहा था हक़ीकत में पीयूसी संचालक को टीसीजी ने लीडरों के माध्यम से बड़ी ही सफाई से बेगारी मजदूर बना रखा था एसा मजदूर जो टीसीजी के लिये बिना वेतन, मज़दूरी लिए रात दिन काम भी करें, पूंजी भी लगाएँ और लाभ नहीं होने पर भी चू तक नहीं करें, और तो और लीडर लोग तो इस बात की ताक में रहते की कब वह मरणासान पीयूसी बंद हो जाये ताकि वे किसी नये आसामी को फिर पूरे स्टॉक के साथ पीयूसी, बाजार या शापिंग पॉइंट उस के स्थान पर दिला सकें ताकि लीडरों और कंपनी की कमाई पर तो कोई आँच नहीं आये मरने वाले भलेहि मरते रहे. हज़ारों पीयूसी जो कि चालू हो नुकसान में आ कर एक वर्ष से पहले बंद हो गयी उनके तन पर लिपटा आखरी कपड़ा सिक्योरटी जमा के 10000/- से 25000/- रुपये भी टीसीजी को उतारने में शर्म नहीं आयी, और तो और अपने आप को स्वयंभू बड़ा समाज सेवक घोषित करने वाले ने जिस RCM PUC का संचालक असामयिक अल्लाह को प्यारा हो गया और उनके परिवार वाले पी यू सी को आगे चालू रखना जारी नहीं रख पाएँ उनपे भी इस समाज सुधारक का कथित बड़ा दिल नहीं पसिजा, और तो और जो सामान कंपनी की सामान वापसी की शर्तो के अनुसार वापस डिपो में जमा कराया गया उसका रिफंड भी कई पीयूसी वालों को आज दिन तक नहीं दिया गया, कइयों का लेजर में रातों-रात हज़ारों रुपयों का स्टॉक ही गायब कर दिया गया आफ़िस में पूछने पर यह बताया गया कि वह समायोजित कर दिया गया जबकि कंपनी एक पेसे का सामान भी उधार नहीं देती थी तो किस बात का समायोजन? इस कारण एसे सामान का विक्रय बिल नहीं बन सकता था अंत एसे सामान को औने-पौने में बेच कर भारी घाटा पी यू सी संचालकों को उठाना पड़ा और इस प्रकार की धाँधलियो की कंपनी में उपर तक कोई सुनवाई नहीं होती थी, संचालक बेचारा सिर-फ़ुटबॉल बना एक चेंबर से दूसरे चेंबर कई-कई दिन आफ़िस बंद होने के समय तक भटकता रहता और हार मान कर अपनी किस्मत को क़ोस्सता हुआ टीसीजी के नाम शिकायती पत्र जमा करा के हज़ारों किलोमीटर दूर इस्थित अपने घर वापस लौट आता यह सोच कर कि टीसीजी जैसा महान संत तो उसके पत्र पर ज़रूर कार्यवाही करेंगे लेकिन उस बेचारे को क्या मालूम कि “यथा राजा तथा प्रजा”.
लीडरों के यह कहने पर कि कोई भी नयी दुकान को साल दो साल तो जमने में लगता ही हे पौधा लगाते ही तो पेड़ नही बन जाता, इस जाँसे में आ कर जो PUC वाले नये-नये जोश-जोश में मित्रों परिचितो आदि से उधार ले कर भी पी यू सी में सामान भरते रहे यह सोच कर कि उस स्थान, शहर में मेंबर बढ़ने पर शॉप लाभ में आ जाएगी उनके पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी यह सुन कर कि कंपनी उन्ही के शेत्र में अपना स्वय का बाजार लगा रही हे, उस शेत्र में जहाँ PUC वालों ने अपना तन-मन-धन यह सोच कर लगा दिया कि कंपनी के नियमानुसार उनकी दुकान से कम से कम 5 किलोमीटर दूर तक कोई अन्य पी यू सी नहीं खुलेगी वहाँ कंपनी अपने ही नियमों को धता बता कर खुद ही बाजार लगाने पर आमदा हो रही हे, और आख़िर हुआ वही जैसा कि टीसीजी की पहले से ही सोची समजी प्लानिंग, साजिश, बनियाबुद्धि थी टीसीजी की तो हींग लगी न फिटकरी और रंग चोखा आ गया लेकिन बाज़ार के आस-पास की क्या दूर-दूर तक की पीयूसीये कालकँवलित हो गयी, इतिहास की बात हो गयी, लीडर लोग कहने लगे कि इसमें टी सी जी का क्या दोष वो तो शरु से ही कह रहे थे कि इतिहास रचेंगे. कंपनी के द्वारा अख़बारों में 5000 RCM PUC चालू बतायी जा रही हे लेकिन करीब पचास हज़ार पी यू सी क्यों बंद हो गयी ये बात कोई लीडर नहीं बताता.
दोस्त, यदि सीधे तौर पर सभी एक करोड़ पचास लाख लोगों को और इनडॅयेरेक्ट तौर पर करोड़ों लोगों को वास्तव में आरसीएम से फ़ायदा हो रहा था तो जयपुर में इन करोड़ों लोगो की तुलना में मुट्ठी भर (सेकड़ों) लोग ही क्यों जुटे? जबकि इस सेमीनार में तो अंदर आने का प्रवेश शुल्क 30/- या 100/- भी नहीं लिए जा रहे थे जबकि सिस्टम का हवाला दे कर ये लीडर लोग व टीसीजी बेचारे आम डिस्ट्रीब्यूटर की इस बहाने अब तक बेहिसाब जेबे काटते आए थे, बात-बात पर आपकी अपनी घर की कंपनी हे, परिवार के सदस्य जेसी हे का हवाला डिस्ट्रीब्यूटर को देने वाली कंपनी सेकड़ों किलोमीटर दूर से हज़ारों रुपये खर्च कर के आने वाले डिस्ट्रीब्यूटर से अपने परिसर में बनाए बदबूदार अंडर ग्राउन्द में ज़मीन पर रात को सोने की एवेज़ में भी अपने कमाउ पूतों से रुपये वसूल करती थी, पीने का पानी और नित्य्कर्म के भी इनडाईरेकट्ली पैसे वसूल किये जाते थे, अंत घर की कंपनी हे की बात का नारा सिर्फ़ दिखावे का था, अब जब सरकार को दिखाने के लिये भीड़ जुटानी थी तो इनका आरसीएम प्राण गीत के कार्ड तक के पैसे लेने का सिस्टम-उसूल फुर्र हो गया, एक पैसे का भी अख़बार में विग्यापन नहीं देने की कसम लेने वाले लाखों रुपयों का अख़बार आदि में अब विग्यापन दे रहें हें वजह बिल्कुल साफ हे कि फ़ायदा इन चंद मुट्ठी भर लोगों जो कि लीडर थे और टीसीजी एण्ड फेमेली को ही हो रहा था और आमजन कंपनी के द्वारा नित नये थोपें गये बिजनस प्लान, शर्तो, स्कीमों, लॉटरी, चिटफंड व अंदर ही अंदर होने वाले षड्यंत्र एंव घोटालो के कारण लुट रहा था.
सरकार को इन लीडरों के खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए क्योकि इन्ही की वजह से आमजन गुमराह हुआ और ये लोग भी कंपनी के द्वारा हर स्तर पर की जा रही ठगी के कार्य में बराबर के हिस्सेदार थे, सरदार तो हरेक डिसट्रिब्युटर के पास आए नहीं, जब ठगों के सरदार पकड़ लिए गये तो गिरोह के सदस्य खुल्ले क्यों घूम रहें हें? सरकार को भगवान सद्बुधि दे इसके लिये यग्य हवन कर रहें हें इन लोभियों को यह मालूम नहीं कि हवन की वजह से यदि सरकार को इस ठगी प्रकरण में सही सद्बुधि आ गयी तो वे भी हवालात में होंगे क्योंकि यू-ट्यूब पर इन हरामियों के कारनामे पूरी चश्मदीद गवाही के साथ मोजूद हे क़ि केसे-केसे विचित्र हथकंडो से इन्होनें आम जन को भर्माया, चाहे वो टेंट हाउस के नकली सिंहासन पर बेथा राजा बना बाबू हो या जिसका नाम ही भागचंद हो यानी कि ठगी करो और भागो, कहते हें कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हें यह नाम जिसने भी रखा वह बड़ा ही सटीक भविष्यवक्ता था उसे नमन हे.